एक इटालियन कहावत है “जिनके ‘दिवस’ होते हैं, वे खतरे में ही होते हैं. जैसे मज़दूर, स्त्री और शिक्षक.” आज ‘विश्व मरीज़ सुरक्षा दिवस’ है.
समय-समय पर ऐसी आपदाएँ (प्राकृतिक-अप्राकृतिक) आती रही हैं, जिनसे काफी जानमाल का नुकसान हुआ है. ऐसे वक़्त में प्राथमिकता होती है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जाय. ‘वर्ल्ड पेसेंट सेफ्टी डे’ का इस बार का स्लोगन है – “Safe Health Workers, Safe Patients”. इस वैश्विक महामारी में जहाँ मरीजों की जानें जा रही हैं वहीं स्वास्थ्यकर्मी भी इस आपदा से हताहत होने से नहीं बचे हैं, इसी बात को ध्यान में रखकर उपर्युक्त स्लोगन को तैयार किया गया है. आज जरूरत है कि हमारे देखभाल में लगे लोगों के प्रति हम अपनी पूरी संवेदना व्यक्त करें क्योंकि वह सुरक्षित रहेंगे तभी हम भी सुरक्षित रह सकेंगे.
कोरोना के कारण भारत में ही अब तक कितने ही डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मियों की जानें जा चुकी हैं. गौरतलब है कि कोरोना से लड़ने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन या दवाई नहीं आ पाई है. इसकी प्रक्रिया अपने आप में जटिल है. विश्वभर के कई स्वास्थ्य संगठन, डॉक्टर्स और संस्थाएँ वैक्सीन तैयार करने की प्रक्रिया में लगे हुए हैं. ऐसी परिस्थिति में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की इस साहसिकता और कर्तव्यनिष्ठा को हर समाज सराह रहा है. इस खतरे के दौर में अपना कर्तव्य का निर्वाहन करना इनके लिए किसी युद्ध लड़ने से कम नहीं हैं. भारत के माननीय प्रधानमंत्री ने इनलोगों को यूँ ही ‘कोरोना वॉरियर्स’ नहीं कहा है.



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