लो, दिख गया टाइगर!

350.00

‘लो, दिख गया टाइगर’! एक दिलचस्प कहानी है जो प्रकृति के साथ आजीवन जुड़ाव को बढ़ावा देती है।

यह रामप्रसाद नाम के एक जिज्ञासु बच्चे और उसके शिक्षक – गोपाल सर की कहानी है। वे अपने क्लासरूम से बाहर निकलकर पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं की रोमांचकारी दुनिया की सैर करते हैं।

यह कहानी सतत विकास लक्ष्य 4 (SDG4), यानी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (Quality Education) से प्रेरित है। इसमें अनुभवात्मक शिक्षा और समग्र शिक्षण के महत्व को बताया गया है। क्लासरूम से बाहर प्रकृति में वयाप्त, वे पारिस्थितिक तंत्रों (इकोसिस्टम) की आपस में जुड़ी हुई कड़ियों और वन्यजीवों, खासकर जैव विविधता (बायोडायवर्सिटी) की रक्षा की जरूरत को समझते हैं।

मिशन LiFE के पर्यावरण संरक्षण और समग्र शिक्षा के सिद्धांतों के साथ साथ  यह कहानी बच्चों को किताबों से बाहर की दुनिया से सीखने की प्रेरणा देती है।

लेखक: पूजा गुप्ता महुरकर और शालिनी वर्मा
पेपरबैक: 36 पृष्ठ (2023)
प्रकाशक: बुक्स33

संशोधित संस्करण: 2025

ISBN: 978-81-983298-1-3

मुल्य:  350

‘लो, दिख गया टाइगर’! एक दिलचस्प कहानी है जो प्रकृति के साथ आजीवन जुड़ाव को बढ़ावा देती है।

यह रामप्रसाद नाम के एक जिज्ञासु बच्चे और उसके शिक्षक – गोपाल सर की कहानी है। वे अपने क्लासरूम से बाहर निकलकर पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं की रोमांचकारी दुनिया की सैर करते हैं।

यह कहानी सतत विकास लक्ष्य 4 (SDG4), यानी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (Quality Education) से प्रेरित है। इसमें अनुभवात्मक शिक्षा और समग्र शिक्षण के महत्व को बताया गया है। क्लासरूम से बाहर प्रकृति में वयाप्त, वे पारिस्थितिक तंत्रों (इकोसिस्टम) की आपस में जुड़ी हुई कड़ियों और वन्यजीवों, खासकर जैव विविधता (बायोडायवर्सिटी) की रक्षा की जरूरत को समझते हैं।

मिशन LiFE के पर्यावरण संरक्षण और समग्र शिक्षा के सिद्धांतों के साथ साथ  यह कहानी बच्चों को किताबों से बाहर की दुनिया से सीखने की प्रेरणा देती है।

खक: पूजा गुप्ता महुरकर और शालिनी वर्मा
पेपरबैक: 36 पृष्ठ (2023)
प्रकाशक: बुक्स33

संशोधित संस्करण: 2025

ISBN: 978-81-983298-1-3

मुल्य:  350

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