गीत विरह का, आस मिलन की
राघवेन्द्र चतुर्वेदी
याद तुम जब मुझे फिर से आने लगे
एक दबी टीस को फिर जगाने लगे
बरसों पहले बनी थी कहानी कोई
आज दिल को वही फिर सुनाने लगे
याद तुम जब मुझे ………
वक़्त गुज़रे हुए भी ज़माना हुआ
इश्क़ दिल में बसा था पुराना हुआ
रास्ते बँट गए फासले बढ़ गए
दूर जाकर बहुत पास आने लगे
याद तुम जब मुझे ………
ज़िन्दगी ने बहुत आज़माया मुझे
पाया खुद को अकेला तो संग पाया तुझे
गीत के बोल बदले हैं तो क्या हुआ
रागिनी हम वही गुनगुनाने लगे
याद तुम जब मुझे ……….
बाक़ी है कुछ सफर चल रहा कारवां
उन अंधेरों के आगे है अपना जहाँ
बस इसी आस में तेरे मोह-पाश में
तेज़ी से हर कदम हम बढ़ाने लगे
याद तुम जब मुझे ……….

लेखक के बारे में:
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से जनपद इटावा के मूल-निवासी राघवेन्द्र चतुर्वेदी का जन्म कानपुर में हुआ था. उन्होंने इटावा और आगरा में शिक्षा ग्रहण की. शिक्षकों के परिवार में जन्मे राघवेन्द्र, मानवीय मूल्यों और धार्मिक संस्कारों के प्रति सुदृढ़ रूप से आस्थावान हैं.
राघवेन्द्र ने समाजशास्त्र और कार्बनिक रसायनशास्त्र में परास्नातक उपाधि प्राप्त की है और रसायनशास्त्र से सम्बंधित विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि उत्कृष्ट रसायन (Fine Chemicals), आनुवंशिक रसायन (Genetic Intermediates), सक्रिय औषधीय घटक (Active Pharmaceuticals/Bulk Drugs), बहुलक रसायन परत (Polymer Coatings) और भूषाचार तकनीक (Fashion Technology) में सेवाकार्य किया है.
राघवेन्द्र की व्यावसायिक क्रियात्मक यात्रा अत्यंत गतिशील रही है. उन्होंने एक ओर अत्यंत कठिन और जटिल रासायनिक क्रियाओं का निष्पादन करते हुए संवेदनशील अणुओं जैसे डीएनए, आरएनए तथा प्रोटीन के घटकों और जीवन रक्षक सक्रिय औषधीय पदार्थों जैसे पेनिसिलिन और सिफालोस्पोरिन प्रतिजैविकों पर अनुसन्धान कार्य किया है तो दूसरी ओर अत्यंत क्रियाशील और विस्फोटक प्रकृति के रासायनिक पदार्थों का संश्लेषण भी किया है.
स्वैच्छिक सेवा-निवृत्ति लेने के उपरान्त अब राघवेन्द्र स्वतंत्र रूप से व्यापारिक संस्थानों को तकनीकी परामर्शसेवा देते हैं.
उन से सम्बन्ध स्थापित करने के लिए raghavendrachaturvedi@yahoo.in पर लिखें
Want to read more short stories like this? Check out our Short Stories, Poems & Songs page, here you will find more such content.



Each title in our collection is more than just a book - it’s a ‘green gift’, promoting mindful reading, sustainable values, and a culture of eco-conscious living. By gifting books, you open doors to new ideas, support lifelong learning, and nurture a more informed, compassionate, and environmentally aware individual.