आज की चर्चा ‘वर्ल्ड फूड डे’ पर।
फूड का नाम सुनते ही हम सभी रोमांचित हो उठते हैं। सही भी है, खाना किसे अच्छा नहीं लगता। लोग तो कहते भी हैं- ‘पहले खाना, फिर ज़माना’। पर वर्ल्ड फूड डे मनाने का उद्देश्य थोड़ा अलग है। इसका उद्देश्य मानवतावादी और सामाजिक है। पूरे विश्वभर से भूखमरी के खात्मे के लिए जागरूकता फैलाना आज के इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है। अतः, आज के दिन हम सभी को व्यक्तिगत स्तर पर अपनी भागीदारी और जिम्मेवारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
‘वर्ल्ड फूड डे’ पूरे विश्वभर में 16 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है- गरीबी और भूखमरी के कारणों के प्रति जागरूकता फैलाना और इसे खत्म करना। इस दिवस की शुरुआत करने में ‘हंगरी’ के पूर्व मंत्री ‘पॉल रोमनी’ का महत्वपूर्ण योगदान है।
यह दिवस 150 से भी ज्यादा देशों में मनाया जाता है। पहली बार वर्ल्ड फूड डे 1981 ईस्वी को मनाया गया था। यह दिवस भूखमरी को समाप्त करने के लिए मनाया जाता है। हर साल इस दिवस को मनाने के लिए एक थीम दिया जाता है। वर्ल्ड फूड डे-2020 का थीम है- ‘ग्रो, नॉरिस, सस्टैन, टुगेदर: आवर एक्शंस एंड आवर फ्यूचर’।
इस दिवस के अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दिवस को कई एनजीओ और कंपनियां भी मनाती हैं और भूखमरी के खात्मे के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने का काम करती हैं। कई देश वर्ल्ड फ़ूड डे को गंभीरता के साथ बड़े स्तर पर मनाते हैं।
भारत में भी हर साल वर्ल्ड फ़ूड डे मनाया जाता है। कोरोना महामारी के दौर में इस बार भी भारत में इसे मनाया जा रहा है। इस बार भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी इस अवसर पर एक स्मारक सिक्का निकालेंगे।
हम भारतीयों को ख़ास कर इस दिवस के लिए संजीदा और गंभीर होना चाहिए। हमारे देश में भी कुपोषण और भुखमरी से मरने वाले लोगों की संख्या कम नहीं है। भूखमरी हमारे देश की भी एक बड़ी समस्या है। यह भी सच है कि इसके समानांतर हमारे देश में अनाज और खाने की बहुत ज़्यादा बर्बादी की जाती है। हमें इसके लिए अब गंभीर होना पड़ेगा और भारत के साथ-साथ पूरे विश्वभर से भूखमरी हटाने के लिए हमें सकारात्मक योगदान देना होगा।