चल पड़ा जिस दिन से मैं माँ, गोद तेरी त्याग कर चलता रहा हूँ मैं सतत एक ऐसी राह पर राह दुर्गम है बहुत और…
books33October 20, 2022
तर्जनी छोड़ो कुछ कदम तुम खुद चलो गिर कर उठो फ़िर फ़िर, राह की पहचान कर लो जान लो परछाइयों को मुश्किलों के दौर में…
books33October 20, 2022
जय हो हिन्दोस्तान की राघवेन्द्र चतुर्वेदी जय हो हिन्दोस्तान की ! जय बोलो ! जहाँ धर्मों की हो पूजा और फ़िक्र नहीं इंसान की .....जय…
books33October 6, 2021
हम ज़िन्दगी को ऐसे, निभाते चले गए राघवेन्द्र चतुर्वेदी हम ज़िन्दगी को ऐसे, निभाते चले गए दिल में ही ख़्वाहिशों को, दबाते चले गए |…
books33August 14, 2021
झाँक गया सावन राघवेन्द्र चतुर्वेदी मेघों की गर्जन में, चपला की चम्-चम् में बूंदों की छन-छन में झाँक गया सावन भँवरों की गुन-गुन में, घुँघरू…
books33July 22, 2021